तू गड़रिया मैं भेड़ पार लगा महासुन्न घेरा तू गड़रिया मैं भेड़ तू मुझ पर लाठी चला किर किर कर मुझे भगा मैं भगूं घंटी बजे शंख बजे मिरदंग बजे दूर कर अंधियार कर दे सभ उजियार तू गड़रिया मैं भेड़ पार लगा महासुन्न घेरा तू गड़रिया मैं भेड़ मेरे लाखों सूरज लाखों चाँद खो गए महासुन्न ख़ान मुझ में काफी दोष हैं मुझ को उनका होश है गुरु मैं तेरी सरन आन लेले तू चाहे मेरी जान कैद खाना खोल दे कितने योजन बोल दे भेड़ हूँ मैं मैं करूँ बाकी भेड़ों से जा भिडून हाथ पेअर छिल गए होश मेरे संभल गए गड़रिये के नज़रिये से मैं शायद नादान हूँ गुरु मैं तेरी सरन आन लेले तू चाहे मेरी जान कैद खाना खोल दे कितने योजन बोल दे
तू गड़रिया मैं भेड़
पार लगा महासुन्न घेरा
तू गड़रिया मैं भेड़ मुझ को यूँ तरकीब से दूर किया तक़दीर से राधास्वामी भेद बता दिया साधु मुझमें जगा दिया चाक़ू जैसे मन को मेरे फूल जैसा खिला दिया गुरु मैं तेरी सरन आन लेले तू चाहे मेरी जान कैद खाना खोल दे कितने योजन बोल दे तू गड़रिया मैं भेड़ पार लगा महासुन्न घेरा तू गड़रिया मैं तेरी भेड़
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