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Writer's pictureAnhad Kashyap

सत्संगी साहब दाता दयाल


गुरु तूने मेरी ऊँगली थामी

करदे मुझको तू अनामी

मन को मेरे कसके पकड़ो

कहीं मचल न जाए यह

सुरत को मेरी ऐसी दशा दो

सच्ची तरंग उठाये यह

सत्संगी साहब दाता दयाल

प्रेम सरन में राखो मुझे

चारों ओर से ठोकर खा

मैं गया तुम्हरे चरण समां

तुम्हरी दया होए कुछ ऐसी

किसी और के हाथों भेजी

मैं बलहीन बिधि से हारा

तुम्हरी बिधि से होश संभाला


अकल भिकारी शकल शिकारी

मन मेरा है बेमान

राधास्वामी मेरे कान मरोड़ो

तोड़ो कमर अब करो सुधार


शब्द धुन की बांह पकड़ अब

मैं चाहूँ चलना सीधा

अगर काल नें भ्रमित किया तोह

पकड़ लीजिये हाथ मेरा


अब ना मानु मैं काल और माया

अब मांगू मैं संसार

बस अब मांगूं दया दीनता

सत्संग सेवा और अभ्यास

दर्शन डीजे दीन दयाला

पिंड भ्रमणड में शोर बड़ा

मंज़िल पूरी होगी उस दिन

जब दर्शन तेरा होगा


ग्यानी साधू जोगी सधगुरु

सभ जीवन के भोग लहें

हमरे सतगुरु भोग लगाएं

खा गए हमको बिना कहे


राधास्वामी ज्ञान के ग्यानी

राधास्वामी ग्यानी के ज्ञान

राधास्वामी ग्यानी के ग्यानी

सब कुछ राधास्वामी राधास्वामी नाम


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